Monday 12 August 2013

ओ कृष्ण!


बताना कृष्ण
कौन है तुम्हें प्रिय
राधा या मीरा?
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रास रचाते
अब भी मथुरा में
क्या तुम कृष्ण?        
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निधि-वन में
सुना है आज तक
रास रचाते                
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सारथी बन
तुमने अर्जुन का
चलाया रथ             
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निधि-वन में
गोपियों संग कृष्ण
रास रचाते              
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अभी भी आते
क्या तुम हर रात
निधि-वन में    
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(हम जब मथुरा भ्रमण के लिए गए थे तो हमें वहां गाइड और अन्य लोगों से यह जानकारी मिली थी कि अभी भी प्रतिदिन रात को निधि वन में कृष्ण आते हैं और वहां गोपियों के साथ तमाम रात्रि रास लीला करते हैं, इसीलिए रात्रि को वहां पर कोई नहीं रुक सकता है और जिसने इसके लिए प्रयास किया है अर्थात जो रात्रि को वहां रुक गया है वो उस रात्रि के बाद जीवन भर कुछ बोल नहीं पाया...यह सुनकर मन में एक अजीब सा रोमांच जाग उठा था...उसी की स्मृति में यहाँ कुछ हाइकु लिखे हैं....)        

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1 comment:

  1. कृष्णमय हाइकू, लाजवाब.

    रामराम.

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