Saturday 28 April 2012

महाभारत/कृष्ण/द्रौपदी पर 15 हाइकू



भीष्म तुम भी
देखते रहे सब
क्यों चुपचाप?          

वाह रे कृष्ण
सारथी बने तुम
प्रेम के लिए             

स्वयं को हार
द्रौपदी को लगाया
कैसे दाँव पे?              

युद्ध-भूमि में
कृष्ण दें अर्जुन को
गीता-संदेश             

बताना कृष्ण
कौन है तुम्हें प्रिय
राधा या मीरा?

रास रचाते
अब भी मथुरा में
क्या तुम कृष्ण?        

निधि-वन में
सुना है आज तक
रास रचाते                

निधि-वन में
गोपियों संग कृष्ण
रास रचाते              

अभी भी आते
क्या तुम हर रात
निधि-वन में             

पाँच पाँडव
जीतें महाभारत
साथ थे कृष्ण            

सारथी बन
तुमने अर्जुन का
चलाया रथ             

भूली नहीं वो
होना चीर-हरण
लिया बदला            

महाभारत
अन्याय के खिलाफ
बिछी बिसात           

भूलो ना कभी
होना चीर-हरण
बना मरण               

नारी, बेचारी!
द्रौपदी सीता पड़ीं
कितनी भारी           
          *******

Friday 27 April 2012

माँ तुझे सलाम!



माँ से मिल के
यूँ खिल उठा बच्चा
जैसे कमल

बच्चे को लगे
सबसे महफूज
माँ का आँचल

बच्चा करता
ज़िद चाँद छूने की
बचपन में

माँ की गोद में
बच्चा यूँ मुसकाए
नेह जगाए

इसमें दो मा
लगे बच्चों को प्यारा
यूँ चंदा मामा.
    ********

यादें---30 हाइकु



1.
सदा जीवंत
हो उठता अतीत
इन यादों में             
2.
चलती यादें
मस्तिष्क-पटल पे
चलचित्र-सी             
3.
देतीं दस्तक
मस्तिष्क-पटल पे
तेरी वो यादें            
4.
देतीं दस्तक
मस्तिष्क-पटल पे
गाहे-बगाहे              
5.
जब भी आई
भिगों गई अँखियाँ
मधुर यादें               
6.
जब भी आई
चुभो गई नश्तर
मेरे सीने में              
7.
झूँठी दिलासा
दिलाती रही मुझे
तुम्हारी याद            
8.
कीमती मोती
ह्रदय की सीप में
तुम्हारी याद            
9.
दीवार पर
फ्रेम में टँगी हुई
मधुर-स्मृति             
10.
कुछ न बचा
हो गया सब नष्ट
शेष है याद              
11.
खिले कमल
मन के सरोवर
तेरी यादों के            
12.
हुआ उदास
जब चुभी मन में
यादों की फाँस          
13.
छीन ले गई
मन का सारा चैन
उसकी याद       
14.
जिया हमने
जो कभी जीवन में
बनता याद              
15.
अतीत से आ
भुलाती वर्तमान
दिखाए स्वप्न            
16.
अक्सर देखा
जीवन भर पीछा
करतीं यादें              
17.
कितने लोग
काट लेते जीवन
यादों के साथ           
18.
हों चाहे जैसी
ना कटता जीवन
यादों के संग            
19.
शांत मन में
बुलबुले-सी उठीं
सहसा यादें              
20.
और ना कुछ
है यादों का संसार
बस आदमी              
21.
तुम्हारी याद
ह्रदय की सीप में
मोती के जैसी           
22.
यादें प्रेम की
इंद्रधनुष जैसी
हों सतरंगी              
23.
इस जग में
मीठी याद के जैसा
कुछ ना मिला           
24.
अक्सर यादें
चुपके से भीतर
करें प्रवेश                                
25.
खुद का भोगा
अतीत का टुकड़ा
होती हैं यादें            
26.
तुम्हारी यादें
चंदन-सी महकें
मेरे मन में               
27.
सुलग उठीं
दफ़न होती यादें
सीने में कहीं             
28.
कसमें-वादे
दफ़न हुईं यादें
पल-भर में               
29.
हुआ जीवंत
अतीत का टुकड़ा
बन के याद    
30.
बन के याद
मैं बसूँ ह्रदय में
प्रियतम के.
   *********               


Monday 23 April 2012

दूध आन्दोलन पर 7 हाइकू


आज देश भर में दूध की कालाबाजारी के मुद्दे पर किसानों का आंदोलन चलाया जा रहा है! Zee News चैनल पर विस्तृत खबरें आ रही हैं! आज उसी पर कुछ हाइकू आपकी सेवा में पेश कर रहे हैं! सदा की भाँति आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित रहेगी, सधन्यवाद!

क्यों त्रहिमाम
कर रहे किसान
सड़कों पर

बहाया दूध
आज सड़कें फिर
हुईं सफेद

चल रही है
कैसी मुनाफाखोरी
दूध के नाम

जागे  किसान
आसमाँ छूने लगे
दूध के दाम

सड़कों पर
देश भर में बही
दूध की नदी

इस तरह
क्यों करें मनमानी
ये कंपनियाँ?

ना जाने कब
जागेगी सरकार
इस मुद्दे पे?

Sunday 22 April 2012

हिंदी हाइकू और अन्य कविताएं


रोज बेधती
पुरूषों की दृष्टि
नारी तन को

तुमने ही तो
समझा बगाना-सा
हमको सदा

दक्षिण जा के
उत्तर के त्यौहार
दम तोड़ते

नहीं अपना
रिश्तेदार, कोई खास
ज्यों बनवास  

नहीं अपना
रिश्तेदार, कोई खास
जीओ बिंदास

पिया-पिया की
मन करे रटन
पपीहा बन     

माँ से मिल के
यूँ खिल उठा बच्चा
जैसे कमल

फैला ज़हर
सांप्रदायिकता का
नेता ले मौज़    

भूखे ही पेट
दिखाता खुशहाली
ओ चित्रकार

मिली कान्हा से
सब कुछ तज़ के
मीरा दीवानी

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
ओ घनश्याम

यूँ बनो बडे़
भूले नहीं कान्हा को
मित्र सुदामा

मैं रंग जाऊँ
बस तेरे रंग में
मेरे मुरारी

पाँच पाँडव
अकेली द्रौपदी
करती तृप्त

अब तो सारे
पर्व करें निराश
ना कोई आस

अब तो सारे
पर्व करें निराश
ना कोई पास
                                   
ओ हमदम
तुम ऐसे बिछुडे़
फिर ना मिले

दुग्ध-धारा में
लगता ऐसे मानो
गिरता दूध

दुग्ध-धारा में
मनमोहक दृश्य
हैं चारों ओर

उम्र का स्यापा
लो आ गया बुढ़ापा
हो बुरा आपा

खूब करेंगे
हम हँसी-ठिठोली
आई रे होली

भूखे ही पेट
रंगों का खेला खेल
यूँ मनी होली

माँ सरस्वती
सदा कर निवास
तू मेरे पास

लक्ष्मी की कृपा
रहे यूँ सालो-साल
हो मालामाल

दीपावली पे
लक्ष्मी घर पे आतीं
मन हर्षातीं
  
रूप सलौना
करता आमंत्रित
दुराचार को

माँ की गोद में
खिलखिलाता बच्चा
जैसे कमल

माँ की गोद में
बच्चा यूँ मुसकाता
जैसे कमल

दक्षिण में पडे़
अक्सर यूँ लगे हो
ज्यों बनवास

पकते फल
निशाना लगाने को
पुकारते-से

बच्चा करता
ज़िद चाँद छूने की
बचपन में

बच्चन लिखें
मिटते भेद भाव
मधुशाला में

राजनीति तो
यूँ  हो गई विषैली
भाई ने जाँ ली

यूनिवर्सिटी
से बाहर खेलते
क्यों होली बच्चे

आती जो होली
खूब करते
हम हँसी-ठिठोली

माँ सरस्वती
जब कृपा करती
आगे बढ़ती

अब के वर्ष
गणपति बाबा मोर्या
तू जल्दी आ

अन्य कविताएं

कविता बही
लेखक के मन से
काग़ज़ पर
कविता चली
लेखक के मन से
पाठक तक

कविता बेटी
लेखक के मन की
होकर के जवान
चली पाठक के आँगन